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गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

लोकतंत्र का महापर्व : खुद वोट दें और दूसरों को भी प्रेरित करें


दान भारतीय संस्कृति की पहचान है। इसे जीवन मुक्ति का मार्ग माना जाता है। मान्यता है कि इससे इहलोक और परलोक दोनों सुधर जाता है। लेकिन  जब यही बात लोकतंत्र के महापर्व के लिए ’मत’दान की आती है, तब  लोग अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करते या मतदान करने ही नहीं जाते । मतदान अधिकार ही नहीं पुनीत कर्तव्य  है। इसके माध्यम से हम अपने जन प्रतिनिधियों को न सिर्फ चुनते और सचेत करते हैं, बल्कि देश के नीति निर्धारण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। युवा देश के कर्णधार हैं, उनकी इस चुनाव में अहम भूमिका है। यदि हम घरों, चौपालों में बैठकर या  सोशल मीडिया के माध्यम से व्यवस्था को कोसते रहेंगे तो इससे भला नहीं होगा। इसलिए खुद वोट दें और दूसरों को भी प्रेरित करें !!

कृष्ण कुमार यादव
निदेशक डाक सेवाएं
इलाहाबाद परिक्षेत्र, इलाहाबाद (उ.प्र.)-211001

( साभार : हिन्दुस्तान, 24 अप्रैल 2014)

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