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शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

बचपन के दिन


बचपन के दिन
कितने मस्ती भरे थे
गाँव भर में हुड़दंग मचाना
जामुन के पेड़ पर चढ़कर
गुठलियों से दूसरों को मारना
ऐसा लगता है
मानो कल की ही बात हो।

एक लंबे अंतराल के बाद
घर जा रहा हूँ
पता नहीं बचपन के साथी
किस हाल में होंगे
पहचान भी पाऊँगा कि नहीं
वो जामुन का पेड़
कहीं काट न दिया गया हो!޶

यही सब सोचते-सोचते गाँव आ गया
तभी हवा का एक तेज झोंका आया
मिट्टी की खुशबू नथुनों में भर गई
सामने जामुन का पेड़
हवाओं के बीच लहरा रहा था
दूर से ही हाथ मिलाकर
मेरा स्वागत करता हुआ।

24 टिप्‍पणियां:

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता है

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (09.07.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

रविकर ने कहा…

सुन्दर कविता ||

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

वाह...मस्ती वाले बचपन के दिन, मेरे तो अभी भी चल रहे हैं.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खुशनसीब हैं आप कि आपको जामुन का पेड़ मिल गया ... सुन्दर अभिव्यक्ति

उपेन्द्र नाथ ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
उपेन्द्र नाथ ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
उपेन्द्र नाथ ने कहा…

Just simply greate. i hv no no world 2 say about ur feeling. but mai app jitna lucky nahi hoo kyonki mujhe jamun ka tree apne mama ke ghar is bar kata mila tha ...

Vivek Jain ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,
आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Arvind Mishra ने कहा…

वाह आप्टिमिज्म से लहलहाती लहराती पोस्ट ....
इधर बनारस से गुजरें तो बताएं -९४१५३००७०६!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वे पेड़ कैसे भुला सकते हैं जिन पर जीवन ने पेंग बढ़ाना सीखा।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Bachpan ke din yaad aa gaye.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

यही सब सोचते-सोचते गाँव आ गया
तभी हवा का एक तेज झोंका आया
मिट्टी की खुशबू नथुनों में भर गई


बहुत सुंदर रचना...मन को छू गई..

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना. मन को छू गई.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना. मन को छू गई.

Akanksha Yadav ने कहा…

सामने जामुन का पेड़
हवाओं के बीच लहरा रहा था
दूर से ही हाथ मिलाकर
मेरा स्वागत करता हुआ।

...अद्भुत ..कई बार बचपन मानो हमारे सामने आकर खड़ा हो जाता है. शानदार कविता..बधाई.

mridula pradhan ने कहा…

सामने जामुन का पेड़
हवाओं के बीच लहरा रहा था
दूर से ही हाथ मिलाकर
मेरा स्वागत करता हुआ।
aapka swagat dekhkar khushi hui......

विभूति" ने कहा…

बहुत ही सुंदर....

मन-मयूर ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता..बधाई.

मन-मयूर ने कहा…

आपकी कवितायेँ अक्सर पढता रहता हूँ. समकालीन भारतीय साहित्य में भी पढ़ी थीं...बधाई. बहुत अच्छा लगता है आपकी रचनात्मकता देखकर.

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई के० के० यादव जी बहुत बहुत बधाई सुंदर सकारात्मक कविता के लिए |

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा है..बधाई.

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सहज-सरल शब्दों में एक सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई...।
प्रियंका

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/