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शुक्रवार, 28 मई 2010

टैगोर का शांति निकेतन विश्व धरोहर बनने की ओर

रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम से भला कौन अपरिचित होगा। साहित्यकार-संगीतकार-लेखक-कवि-नाटककार-संस्कृतिकर्मी एवं भारतीय उपमहाद्वीप में साहित्य के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता के अलावा उनकी छवि एक प्रयोगधर्मी और मानवतावादी की भी है. अनेक मामलों में उनकी समझ अपने युग के सभी वि‍चारकों, आलोचकों, रचनाकारों और कला मनीषि‍यों के वि‍चारों की सीमाओं को भेदती हुई मनुष्‍यत्‍व के मर्म तक गयी है। 1901 में स्थापित शांतिनिकेतन रवींद्रनाथ टैगोर जी के जीवन दर्शन उनके अद्भुत कार्यो और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अनोखे माडल को प्रदर्शित करता है. एक तरह से देखा जाय तो शांति निकेतन भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में 'तपोवन परंपरा' की वापसी और 'मानवीय विचारधारा' के समावेश की बानगी पेश करता है। एक ऐसे समय में जब बंगाल ब्रिटिश शासन और जातपात का दंश झेल रहा था उस समय रवींद्रनाथ टैगोर जी ने धार्मिक और क्षेत्रीय बाधाओं से परे शांतिनिकेतन नामक ऐसी शिक्षण संस्था का आधार तैयार किया जो मानवीयता, अन्तराष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों और मुक्त पाठ्यक्रम पर आधारित थी। गौरतलब है कि शांति निकेतन के हिंदू बहुल क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद सौ वर्ष पहले वहाँ प्रत्येक पाँच में से तीन शिक्षक ईसाई थे और महिलाओं को भी शिक्षण कार्य में प्रोत्साहित किया जाता था। टैगोर ने आमिर-गरीब के साथ लिंगभेद को भी दूर करते हुए आम आदमी को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया था। शान्तिनिकेतन की महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्थापना के दूसरे वर्ष में ही इस शिक्षण संस्था को जापान से पहला विदेशी छात्र मिला और बाद में वैदिक, पुराण, इस्लाम, बौद्ध, जैन इत्यादि सम्बंधित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया। यही नहीं टैगोर ने स्कूल के संबंधों को स्थानीय समुदाय से भी जोड़ने का प्रयास किया और संथाल समुदाय में शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया। गौरतलब है कि मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा, 1948 से पहले ही शांति निकेतन में अन्तराष्ट्रीय मानवीय मूल्यों की आधारशिला रखी गई और वहां पर्यावरण संरक्षण के साथ ही महिला सशक्तिकरण और समावेशी पहल पर जोर दिया गया।

ऐसे में टैगोर की 150वीं जयंती के अवसर पर शन्ति निकेतन की महत्ता और प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है. यही कारण है की गुरुदेव की इस पवन कर्मस्थली को यूनेस्को विश्व धरोहर क़ी सूची में शामिल कराने हेतु भारत सरकार ने पहल आरंभ कर दी है. यदि यह अनुपम पहल कामयाब होती है तो शांति निकेतन को भारत क़ी 30वीं विश्व धरोहर होने का गौरव प्राप्त हो सकेगा और टैगोर जी को उनकी 150 वीं जयंती पर इससे सुन्दर और सार्थक स्मरण क्या हो सकता है !!

22 टिप्‍पणियां:

Shyama ने कहा…

यदि यह अनुपम पहल कामयाब होती है तो शांति निकेतन को भारत क़ी 30वीं विश्व धरोहर होने का गौरव प्राप्त हो सकेगा और टैगोर जी को उनकी 150 वीं जयंती पर इससे सुन्दर और सार्थक स्मरण क्या हो सकता है...Sundar wa sarthak !!

Shyama ने कहा…

चित्र में टैगोर जी को पुष्प अर्पित करते आपका चित्र भी बढ़िया है..पुनीत स्मरण.

raghav ने कहा…

रविन्द्र नाथ टैगौर एक नाम नही एक यु्ग है । बहुत सुन्दर

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

बहुत सही कहा आपने कि शांति निकेतन भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में 'तपोवन परंपरा' की वापसी और 'मानवीय विचारधारा' के समावेश की बानगी पेश करता है। इस जानकारी के लिए साधुवाद.

Unknown ने कहा…

टैगोर जी और शांति निकेतन पर जानकारी अच्छी लगी.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

हमें भी शांति निकेतन को विश्व धरोहर के रूप में देखने की लालसा है..

aarya ने कहा…

सादर वन्दे !
एक सुखद सूचना इस आशा के साथ कि यहाँ कि सभी वस्तुएं सलामत रहें|
रत्नेश त्रिपाठी

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

सरकार की इस नेक पहल का स्वागत है...

माधव( Madhav) ने कहा…

city of joy become matter of Joy

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

एक ऐसे समय में जब बंगाल ब्रिटिश शासन और जातपात का दंश झेल रहा था उस समय रवींद्रनाथ टैगोर जी ने धार्मिक और क्षेत्रीय बाधाओं से परे शांतिनिकेतन नामक ऐसी शिक्षण संस्था का आधार तैयार किया जो मानवीयता, अन्तराष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों और मुक्त पाठ्यक्रम पर आधारित थी।...Nice.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Ur Pic. looks good..Congts.

raghav ने कहा…

रवीन्द्रनाथ टैगोर भारतीय उपमहाद्वीप में साहित्य के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार-संगीतकार-लेखक-कवि-नाटककार-संस्कृतिकर्मी थे
अनेक मामलों में उनकी समझ अपने युग के सभी वि‍चारकों, आलोचकों, रचनाकारों और कला मनीषि‍यों के वि‍चारों आगे थी
बहुत सुन्दर

KK Yadav ने कहा…

आप सभी को यह पोस्ट पसंद आई..प्रयास सार्थक हुआआभार.

Akanksha Yadav ने कहा…

शांति निकेतन तो वैसे भी विश्व धरोहर है...खैर यह प्रयास भी रंग लाये..शुभकामनायें.

अंजना ने कहा…

बिल्कुल सही कहा आपने "टैगोर जी को उनकी 150 वीं जयंती पर इससे सुन्दर और सार्थक स्मरण क्या हो सकता है"।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर लगा आप का लेख ओर चित्र

Unknown ने कहा…

भगवान करे आतंकवादियों से ये बचा रहे

डॉ टी एस दराल ने कहा…

जानकारी पूर्ण सुन्दर आलेख ।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

ऐतिहासिक जानकारी दी आपने... विशाल धरोहर योग्य है गुरुदेव निर्मित "शान्ति निकेतन"

संजय भास्‍कर ने कहा…

ऐतिहासिक जानकारी दी आपने.

KK Yadav ने कहा…

@ Shyama,

Thanks a lot.

KK Yadav ने कहा…

@ aarya Ji,

आपकी चिंता वाजिब है, पर अच्छा ही सोचा जा सकता है.