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शनिवार, 15 नवंबर 2008

'आई लव टू राइट डे' के बहाने

लिखना मेरी अभिरुचियों में शामिल है. कई मित्र अक्सर पूछते हैं कि इस अभिरुचि के क्या मायने हैं ?...इन्टरनेट संस्कृति ने कहीं न कहीं पढने और लिखने को प्रभावित किया है, पर पुस्तक में मुद्रित शब्दों को पढने का जो आनंद है, अन्यत्र कहीं नहीं. इसके सहारे न जाने कितनी दूर-दूर कि यात्रायें ख़त्म हो जाती हैं और कभी-कभी तो पूरी रात भी बिना पलक झपकाए किसी पुस्तक को पढ़कर ख़त्म करने का सुख ही कुछ और है.
...........खैर आज इसकी चर्चा का विशेष कारण है। 15 नवम्बर को 'आई लव टू राइट डे' मनाया जाता है. वर्ष 2002 में यह सर्वप्रथम मनाया गया और इसकी परिकल्पना मूलत: डेलवारे के लेखक जॉन रिडले ने की थी. इस पहल को स्वीकारते हुए डेलवारे के गवर्नर रुथ एन. मिनर ने 15 नवम्बर को आधिकारिक रूप से 'आई लव टू राइट डे' मनाये जाने की घोषणा की, जिसे बाद में पेनसेलवेनिया और फ्लोरिडा ने भी स्वीकार लिया. इसके तहत स्कूलों, लाइब्रेरी, कम्युनिटी सेंटर्स, बुक स्टोर्स इत्यादि में तमाम तरह की लेखन गतिविधियों का आयोजन किया गया. वस्तुत: इसका उद्देश्य हर आयु-वर्ग के लोगों को विभिन्न विधाओं- निबंध, पत्र, कहानी इत्यादि लिखने के लिए प्रवृत्त करना है................तो चलिए कुछ लिखते हैं, रचते हैं और फिर गुनते हैं. लेखन को समर्पित इस दिवस की ढेरों शुभकामनायें !!
***कृष्ण कुमार यादव***

7 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

'आई लव टू राइट डे' पर कृष्ण जी की टिपण्णी सारगर्भित है. पर अभी भारत में इसका प्रचलन नहीं लगता.

KK Yadav ने कहा…

आपने सही कहा भारत में इसका प्रचलन नहीं है, पर जैसे वैलेंटाइन डे को छाने में देर नहीं लगी, वैसे ही इसे भी देर नहीं लगनी चाहिए !!

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Thanks for this new information.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

Thanks for interesting information.

Akanksha Yadav ने कहा…

रोचक और नवीन प्रस्तुति.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

नूतन जानकारी देने के लिए आभार.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला। वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है।